।। श्री छत्रपती संभाजी राजे शिवाजी राजे भोसले इतिहास ।।
।। श्री छत्रपती संभाजी महाराज ।।
।। श्री छत्रपती संभाजी महाराज ।।
छत्रपती संभाजी राजे मराठा शासक साम्राज्य की स्थापना करने वाले छत्रपती शिवाजी महाराज के बेडे पुत्र थे सिफ 32 साल की उम्र में उनकी मुगल बादशाह औरंगजेब ने हत्या करवा दी थी। कारण मराठा साम्राज्य के किले और धर्म परिवर्तन करने से इनकार
छत्रपती संभाजी महाराज शिवाजी महाराज भोसले |
श्री छत्रपती संभाजी महाराज का जन्म
छत्रपती संभाजी महाराज का जन्म 14 मई 1657 को पुरंदर किले पर हुआ ये किला पुना से 50 किलोमिटर की दुरी पर है संभाजी महाराज शिवाजी महाराज की पहली और सबसे प्रिय पत्नी सईबाई के पुत्र थे। संभाजी महाराज महज 2 साल के थे तब उनकी माँ की मृत्यु हुई, जिसके बाद उनकी परवरिश उनकी दादी राजमाता जिजाबाई और माता पुतळाबाई ने की संभाजी महाराज को 8 भाषा वो का ज्ञान था जिस में अंग्रेजी, पोतुगीज, उर्दू, कन्नड, संस्कृत, पारसी, हिंदी, उनका विवाह कम उम्र में येसुबाई से हुआ था। राजे ने बुधभुषण राजनीतिक ग्रंथ संस्कृत में लिखा इसके बाद नाईका भेद, नखशिका, सातसतक ग्रंथ की निर्मिती की, संभाजी महाराज के पत्नी का नाम येसुबाई, बेटा शाहूजी महाराज, बेटी भवानीबाई
छत्रपती संभाजी महाराज शिवाजी महाराज भोसले |
औरंगजेब का दिल्ली दरबार 8 साल की उम्र
औरंगजेब ने अपने सेनापति राजा जयसिंह को दक्कन बडी सेना देकर भेजा, शिवाजी महाराज ने राजा जयसिंह को करारा जवाब दिया। लेकिन उनकी बडी सेना के सामने शिवाजी महाराज ने सुलह संधि करने का प्रस्ताव रखा। 11 जून 1665 को पुरंदर की संधि में शिवाजी महाराज अपने 32 किले और उनको दिल्ली जाना होगा महाराज ने एक प्रस्ताव रखा कि उनका पुत्र युवराज संभाजी (शंभूराजे) मुगल सेना में अपनी सेवाएं देगा। जिस कारण मात्र 8 साल के संभाजी महाराज और शिवाजी महाराज को मुगल दरबार में खुद को प्रस्तुत करना पडा, तभी शिवाजी महाराज ने औरंगजेब की खिल्लत ठुकराई थीं । संभाजी को 5 हजार का मनसबदार बनाया गया। लेकिन औरंगजेब कपटी था उसने शिवाजी महाराज व संभाजी महाराज को नजर कैद में रखा तभी शिवाजी महाराज को चिंता हुई यहा से सही सलामत बाहर केसै निकला जाय तभी उन्होंने एक योजना बनाई उन्होंने बीमार होने का नाटक किया और इजाजत लि कि उनकी प्रकृति ठीक होंने के लिए दुआएं कि जाय इसलिए वो खैरात दान करना चाहते हैं। तभी उन्होंने बक्से में फल मिठाइयां भेजना शुरू किया और एक दिन वहा से खुद सबको लेकर सुरक्षित निकल गये।
बादशाह औरंगजेब |
मुगलों को गुमराह करने में माहिर थे
संभाजी महाराज बचपन से ही शुर पराक्रमी थे दिलेर खान जब फोज तोफा दारूगोला लेकर दक्कन आया था। स्वराज्य पे बडा संकट था। दिलेर खान को सबक सिखाने के लिए उनके खेमें में (छावनी) गये दिलेर खान से दोस्ती का हाथ बढाया। दिलेर खान को लगता था कि शिवाजी महाराज का पुत्र संभाजी हमारे कब्जे में है। यह बात औरंगजेब को पता चलती है। वो हुकुम देता है। संभाजी को बंदी बनाकर दिल्ली भेजा जाये, 5 हजार घोड संवार संभाजी को लेने के लिए निकल ते है। यह बात संभाजी को पता चलती है लेकिन एक समस्या थीं उनकी बडी बहन उनके साथ थी। लेकिन संभाजी एक योजना बनाते हैं। हमे यहासे निकल ने के लिए सभी का ध्यान भटकना होगा मुगलों का बारूद बरबाद करने से उनका ध्यान भटक जाये गा। अपने अंगरक्षक ज्योत्याजी,रायप्पा को काम सोपते है। बारूद बरबाद करके सभी सही सलामत निकल जातें है। ईस में बहिरजी नाईक ने बडी भूमिका निभाई।
श्री छत्रपती संभाजी महाराज शिवाजी महाराज भोसले |
श्री छत्रपती शिवाजी महाराज की मृत्यु के पश्चात
जब शिवाजी महाराज की मृत्यु 1680 को महाराष्ट्र में रायगढ़ किले में हुईं तभी संभाजी महाराज पन्हाळा किला (कोल्हापुर) में थे। उनको अपने पिता के मोत की खबर तक नहीं दि गई। आनेवाले सभी संदेश छुपाकर रखते क्यों की शिवाजी महाराज के दुसरे बेटे राजाराम महाराज को सिंहासन पर बिठाना था, ये षड्यंत्र सौतेली माँ सोयराबाई, (सुरनीस)अनाजी दत्तो पंत, सोमाजी दत्तो पंत, पेशवा मोरोपंत, हिरोजी फर्जन, जनार्दन पंत, कुछ और थे। कुछ समय पश्चात अनाजी दत्तो पंत, पेशवा मोरोपंत, हिरोजी फर्जन, सभी 5 हजार सेना लेकर शंभु राजे को बंदी बनाने के लिए रायगढ़ से पन्हाळा गड निकले उन्होंने रास्ते में सेनापती हब्बीरराव मोहिते से मुलाकात की और उन्हें महारानी सोयराबाई का आदेश सुनाया सोयराबाई हब्बीरराव मोहिते की बहन थी। हब्बीरराव मोहिते अपनी 20 हजार की सेना लेकर पन्हाळा निकले अनाजी दत्तो पंत ने संभाजी महाराज को बंदी बनाने का प्रयास किया। लेकिन विफल हुआ हब्बीरराव मोहिते (हब्बीर मामा) अपने सगे भांजे से भी ज्यादा प्यार संभाजी पर करते थे, उन्होंने अनाजी और उनके साथियों को बंदी बनाया। संभाजी महाराज अपने ससुर पिलाजी शिर्के को संदेश भेजा कि वो रायगढ़ किले पर हमला करे पिलाजी शिर्के रायगढ़ पर कब्जाकरतें हैं
किल्ले रायगढ़ |
किल्ले रायगढ़ |
किल्ले रायगढ़ |
किल्ले रायगढ़ प्रवेशद्वार |
किल्ले रायगढ़ |
किल्ले रायगढ़ बाजार पेठ |
किल्ले रायगढ़ |
किल्ले रायगढ़ |
किल्ले रायगढ़ |
किल्ले रायगढ़ |
किल्ले रायगढ़ |
किल्ले रायगढ़ |
किल्ले रायगढ़ |
ताजपोषी राज्याभिषेक मुगलों से पंगा दुश्मनी
श्री छत्रपती संभाजी महाराज राज्याभिषेक माघ शुद्ध 7, शके 1602 रौद्रनाम संवत्सरे जनवरी 14,15,16, सन 1681 विधियुक्त राज्याभिषेक हुआ मराठा साम्राज्य के दुसरे छत्रपती बने जनता के धाकले धनी हो गये छत्रपती होने के बाद उन्होंने षड्यंत्र कारियों को बंदी से रिहा किया और उन्हें पुन्हा अपने मंत्री मंडल में शामिल किया। संभाजी महाराज ने मुगलों का बुरहानपुर शहर पर हमला करके उसे लुटा और मुगल सेना को परास्त किया। मुगल बादशाह औरंगजेब को बुरहानपुर शहर से लगाव था उनकी अम्मी मुमताज़ की कब्र तथा उनके बेगम हिराबाई की कबर बुरहानपुर में है। बुरहानपुर शहर लुटकर मुगलों से खुली दुश्मनी की थी, लेकिन औरंगजेब के चौथे बेटा अकबर को बादशाह बनना था। उसने राना दुर्गादास राठोड और कुछ अन्य राजपूतों के साथ मिलकर बगावत की लेकिन अकबर आयाश रातभर शराब नाचगाने में डुबा रहता ईसिका फायदा औरंगजेब ने उठाया और उनको हराया। अकबर वहासे भाग निकला औरंगजेब ने सभी रियासत राजा वो को फरमान जारी किया अकबर को कोई पन्हा नहीं दे। लेकिन अकबर दक्कन संभाजी महाराज के पास आया और उनसे पन्हा मांगी इसलिए औरंगजेब चिड गया। अपनी 5 लाख की सेना लेकर दक्कन के लिए निकला। और बुरहानपुर शहर पहुंचा ये बात संभाजी महाराज को पता चलती हैं। संभाजी महाराज भेंस बदलकर बुरहानपुर शहर पहुँच ते है ई दौरान संभाजी महाराज की बेटी भवानीबाई का विवाह था। लेकिन संभाजी बुरहानपुर जातें हैं और औरंगजेब को मारने का प्रयास करते हैं उस धमाकेमे औरंगजेब बचता है लेकिन उसका बारूद बरबाद होता है। औरंगजेब क्रोधित होकर संभाजी महाराज को जीवित या मृत लाने का हुकुम देता है।
श्री छत्रपती संभाजी महाराज राज्याभिषेक |
मुगलों की हार और तबाही
सन 1687 में मराठा फोज की मुगलों से भयंकर जंग हुई उसमें मराठो की जीत हुई लेकिन सेनापति हंब्बीरराव मोहिते को तोप का गोला लगने से मृत्यु हुई वो शहीद हुए, मुगलों को रामशेत किला जितने के लिए 6 साल लगे संभाजी महाराज ने ऐसी रणनीति बनाईं थीं की मुगलों को कल्याण ठाणे नाशिक भी जितने नहीं दिया। ईसी दौरान जंजीरा के सिध्धी को औरंगजेब ने हथियार धन असला भेजा ताकि आतंक मचा सके। लेकिन संभाजी महाराज ने कोंडाजी बाबा को जंजीरा भेजा जंजीरा लेने की योजना सफल नहीं हो पाई कोंडाजी बाबा शहीद हुए। सिध्धी का आतंग रोका
श्री छत्रपती संभाजी महाराज मुगलों की तबाही |
पोर्तूगीज को शिकस्त और सबसे
शंभु राजे ने कोंकण रत्नागिरी सिन्धुदर्ग में दारूगोला बनाने के लिए कारखाने लगाये थे। वहां पोर्तूगीज परेशान करने लगे थे तभी संभाजी महाराज ने गोवा जाने का फैसला किया गोवा जाकर पोर्तूगीजो से युद्ध किया इसमें पोर्तूगीज मुखिया बचकर भाग गया हार के बाद उन्होंने शरनागती से करार किया की मराठा सल्तनत को कभी परेशान नहीं करेंगे,लगान देंगे जबरन धर्म परिवर्तन नहीं करनें का वादा किया था। गोवा से वापस आते समय औरंगजेब का बेटा 1 लाख की सेना लेकर संभाजी महाराज को पकड़ने के लिए आता है लेकिन उसकी 80 हजार की सेना मारी जाती है। वो परास्त होकर लोटता है।
श्री छत्रपती संभाजी महाराज दरबार |
षड्यंत्र राजा को मारने का
षड्यंत्र छत्रपती संभाजी महाराज को मारने का प्रयास अपने ही लोग करतें हैं। प्रमुख अनाजी दत्तो पंत, चिटनिस बाळाजी पंत, अवजी बाळाजी पंत, सोमाजी दत्तो पंत, हिरोजी फर्जन,जनार्दन पंत, लग भग 22 लोग मारने में असफल होते है। लेकिन इनको दुबारा षड्यंत्र करनें के आरोप में राज द्रोह गुन्हा कि सजाये मोत आदेश मिलता है किसीको हात्ती के पैर के नीचे कीसी को तोफ से उडाणा
षड्यंत्र कारियों को हाथी पैरों तले कुछला |
अपनों ने ही दिया धोखा अपने ही लंका भेदी
फरवरी 1689 में संभाजी महाराज पत्नी महारानी येसुबाई शृंगारपुर संगमेश्व (रत्नागिरी) एक बैठक के लिए पहुँच ते है लेकिन मुगल सरदार मुकर्रब खान की सेना वहा पहुचती है। कान्होजी शिर्के महारानी येसुबाई के चाचा फितुर थे, उनको औरंगजेब ने 5 हजार की मनसबदारी दाई थीं। उनको दाभोल का वतन चाहिए था। लेकिन स्वराज्य में वतन किसी को नहीं दिया जाता था, इसी बात पर कान्होजी शिर्के गद्दारी कर बैठे वो बार बार महारानी येसुबाई के भाई व शिवाजी महाराज के जमाई गणोजी शिर्के को उकसा ते लेकिन मुगलों ने शृंगारपुर को चारों तरफ से घेर लिया। उस दौरान बडी झटापट हुई और संभाजी महाराज की सेना वहा से निकल गई मुकर्रब खान को लगा कि संभाजी हमारे हाथ में से निकल गया। उस सेना के पीछे निकल ने वाला था, तभी कान्होजी शिर्के ने उसे रोका और कहा संभाजी नहीं भागा ऐ गनिमी कावा है। हमारे आखों से धोखा किया है, वो हवेली में है मराठा वीरों की रणनीति कान्होजी शिर्के को पता थीं कारण वो मराठा सरदार निठ्ठावंत पिलाजी शिर्के के भाई थे तथी मुगलों ने हवेली को घेर लिया और संभाजी महाराज कवि कलश को बेडियो में जखड लिया। पकडकर बहादुर गढ ले गये।
श्री छत्रपती संभाजी महाराज |
मार डाल ने से पहले यातना ओ का लंबा सिलसिला
छत्रपती संभाजी महाराज और कवि कलश को पूरे शहर में बेडियो से जखड कर घुमाया पथर फेंके भालेकी नोक चुभाई तभी उस भिडमे संभाजी महाराज का अंगरक्षक रायप्पा उनको बचाने का प्रयास करते हैं लेकिन मारा जाता है। मुगल बादशाह आलमगिर औरंगजेब छत्रपती संभाजी महाराज को कुरनिस और कदम पोषी करनें को कहतें है लेकिन संभाजी महाराज इनकार कर ते है। औरंगजेब संभाजी महाराज से दो प्रश्न का उत्तर मांग ते है, पहला स्वराज्य का खजाना कहा छुपाकर रखा है। दूसरा मुगलिया सल्तनत के कोन से सरदार तुम से मिले हुए हैं। महाराज का जबाब तुम्हारा बेटा अकबर मिला हुआ है, बादशाह महाराज को कहतें है संभा तुम हमारे साथ दिल्ली चलो ये सब कुछ छोडो 50 हजार का मनसबदार बनाता हूँ। झुको कुरनिस करो महाराज उसको कहतें हैं। छत्रपती किसी के सामने झुकते नहीं छत्रपती एक सोंच है, मै शिवाजी का पुत्र हु शिवाजी महाराज के सामने झुकते है। औरंगजेब धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रेरित करता है। तुम्हें बाईजत बरिकिया जाये गा तुम्हे रिहा कर दिया जाए गा, महाराज इनकार कर ते है। और क्रूरताका सिलसिला चलता है उनकी आँखें निकाल ते है तभी संभाजी महाराज उसकी शर्त मानते नहीं उनकी जबान काटते हैं। तभी शंभु राजे झुकते नहीं। उसके बाद मोतका फरमान सुनाया जाता है, तभी राजे मानते नहीं क्यों की छत्रपती एक सोंच है सबके दिलों में रहती हैं एक संभाजी मरा तो हजार संभाजी जन्म लेंगे,शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए जाते हैं। 11 मार्च 1689 को मेरे राजे धाकले धनी स्वराज्य के लिए शहीद होते है। मेरा राजा समाज को प्रेरणा देकर जातें हैं कितना भी संकट आये आपनें धर्म के रास्ते पर चलो।
श्री छत्रपती संभाजी महाराज समाधि |
श्री छत्रपती संभाजी महाराज समाधि |
श्री छत्रपती संभाजी महाराज समाधि |
श्री छत्रपती संभाजी महाराज समाधि |
कवि कलश समाधि |
अंतिम संस्कार किसने किया
11 मार्च 1689 संभाजी महाराज के शरीर के टुकड़े वडु गांव के पास नंदी में फेंक ते है भिमा कोरेगाव औरंगजेब फतवा निकाल ता है। कोई भी टुकड़े नदी में से बाहर नहीं निकाले लेकिन गोविंद महार उसे निकाल कर सिकर आपनी जगह में अंतिम संस्कार करते हैं
।। जय भवानी जय शिवाजी ।।
।। जय हिंद जय महाराष्ट्र ।।
।। जय शंभु राजे ।।