Monday 7 September 2020

एक हिन्दू राजा कि मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने आंखे ओर जीवा काटकर क्रूर हत्या कि

।। श्री छत्रपती संभाजी राजे शिवाजी राजे भोसले इतिहास ।।
।। श्री छत्रपती संभाजी महाराज ।।

छत्रपती संभाजी राजे मराठा शासक साम्राज्य की स्थापना करने वाले छत्रपती शिवाजी महाराज के बेडे पुत्र थे सिफ 32 साल की उम्र में उनकी मुगल बादशाह औरंगजेब ने हत्या करवा दी थी। कारण मराठा साम्राज्य के किले और धर्म परिवर्तन करने से इनकार 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज शिवाजी महाराज भोसले
छत्रपती संभाजी महाराज शिवाजी महाराज भोसले 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज का जन्म 

छत्रपती संभाजी महाराज का जन्म 14 मई 1657 को पुरंदर किले पर हुआ ये किला पुना से 50 किलोमिटर की दुरी पर है संभाजी महाराज शिवाजी महाराज की पहली और सबसे प्रिय पत्नी सईबाई के पुत्र थे। संभाजी महाराज महज 2 साल के थे तब उनकी माँ की मृत्यु हुई,  जिसके बाद उनकी परवरिश उनकी दादी राजमाता जिजाबाई और माता पुतळाबाई ने की संभाजी महाराज को 8 भाषा वो का ज्ञान था जिस में अंग्रेजी, पोतुगीज, उर्दू, कन्नड, संस्कृत, पारसी, हिंदी, उनका विवाह कम उम्र में येसुबाई से हुआ था। राजे ने बुधभुषण राजनीतिक ग्रंथ संस्कृत में लिखा इसके बाद नाईका भेद, नखशिका, सातसतक ग्रंथ की निर्मिती की, संभाजी महाराज के पत्नी का नाम येसुबाई, बेटा शाहूजी महाराज, बेटी भवानीबाई 


श्री छत्रपती संभाजी महाराज शिवाजी महाराज भोसले
छत्रपती संभाजी महाराज शिवाजी महाराज भोसले 

औरंगजेब का दिल्ली दरबार 8 साल की उम्र
 
औरंगजेब ने अपने सेनापति राजा जयसिंह को दक्कन बडी सेना देकर भेजा, शिवाजी महाराज ने राजा जयसिंह को करारा जवाब दिया। लेकिन उनकी बडी सेना के सामने शिवाजी महाराज ने सुलह संधि करने का प्रस्ताव रखा। 11 जून 1665 को पुरंदर की संधि में शिवाजी महाराज अपने 32 किले और उनको दिल्ली जाना होगा महाराज ने एक प्रस्ताव रखा कि उनका पुत्र युवराज संभाजी (शंभूराजे) मुगल सेना में अपनी सेवाएं देगा। जिस कारण मात्र 8 साल के संभाजी महाराज और शिवाजी महाराज को मुगल दरबार में खुद को प्रस्तुत करना पडा, तभी शिवाजी महाराज ने औरंगजेब की खिल्लत ठुकराई थीं । संभाजी को 5 हजार का मनसबदार बनाया गया। लेकिन औरंगजेब कपटी था उसने शिवाजी महाराज व संभाजी महाराज को नजर कैद में रखा तभी शिवाजी महाराज को चिंता हुई यहा से सही सलामत बाहर केसै निकला जाय तभी उन्होंने एक योजना बनाई उन्होंने बीमार होने का नाटक किया और इजाजत लि कि उनकी प्रकृति ठीक होंने के लिए दुआएं कि जाय इसलिए वो खैरात दान करना चाहते हैं। तभी उन्होंने बक्से में फल मिठाइयां भेजना शुरू किया और एक दिन वहा से खुद सबको लेकर सुरक्षित निकल गये। 


आलमगिर औरंगजेब बादशाह
बादशाह औरंगजेब 

मुगलों को गुमराह करने में माहिर थे 

संभाजी महाराज बचपन से ही शुर पराक्रमी थे दिलेर खान जब फोज तोफा दारूगोला लेकर दक्कन आया था। स्वराज्य पे बडा संकट था। दिलेर खान को सबक सिखाने के लिए उनके खेमें में (छावनी) गये दिलेर खान से दोस्ती का हाथ बढाया। दिलेर खान को लगता था कि शिवाजी महाराज का पुत्र  संभाजी हमारे कब्जे में है। यह बात औरंगजेब को पता चलती है। वो हुकुम देता है। संभाजी को बंदी बनाकर दिल्ली भेजा जाये, 5 हजार घोड संवार संभाजी को लेने के लिए निकल ते है। यह बात संभाजी को पता चलती है लेकिन एक समस्या थीं उनकी बडी बहन उनके साथ थी। लेकिन संभाजी एक योजना बनाते हैं। हमे यहासे निकल ने के लिए सभी का ध्यान भटकना होगा मुगलों का बारूद बरबाद करने से उनका ध्यान भटक जाये गा। अपने अंगरक्षक ज्योत्याजी,रायप्पा  को काम सोपते है। बारूद बरबाद करके सभी सही सलामत निकल जातें है। ईस में बहिरजी नाईक ने बडी भूमिका निभाई। 


श्री छत्रपती संभाजी महाराज शिवाजी महाराज भोसले
श्री छत्रपती संभाजी महाराज शिवाजी महाराज भोसले 

श्री छत्रपती शिवाजी महाराज की मृत्यु के पश्चात 

जब शिवाजी महाराज की मृत्यु 1680 को महाराष्ट्र में रायगढ़ किले में हुईं तभी संभाजी महाराज पन्हाळा किला (कोल्हापुर) में थे। उनको अपने पिता के मोत की खबर तक नहीं दि गई। आनेवाले सभी संदेश छुपाकर रखते क्यों की शिवाजी महाराज के दुसरे बेटे राजाराम महाराज को सिंहासन पर बिठाना था, ये षड्यंत्र सौतेली माँ सोयराबाई, (सुरनीस)अनाजी दत्तो पंत, सोमाजी दत्तो पंत, पेशवा मोरोपंत, हिरोजी फर्जन, जनार्दन पंत, कुछ और थे। कुछ समय पश्चात अनाजी दत्तो पंत, पेशवा मोरोपंत, हिरोजी फर्जन, सभी 5 हजार सेना लेकर शंभु राजे को बंदी बनाने के लिए रायगढ़ से पन्हाळा गड निकले उन्होंने रास्ते में सेनापती हब्बीरराव मोहिते से मुलाकात की और उन्हें महारानी  सोयराबाई का आदेश सुनाया सोयराबाई हब्बीरराव मोहिते की बहन थी। हब्बीरराव मोहिते अपनी 20 हजार की सेना लेकर पन्हाळा निकले अनाजी दत्तो पंत ने संभाजी महाराज को बंदी बनाने का प्रयास किया। लेकिन विफल  हुआ हब्बीरराव मोहिते (हब्बीर मामा) अपने सगे भांजे से भी ज्यादा प्यार संभाजी पर करते थे, उन्होंने अनाजी और उनके साथियों को बंदी बनाया। संभाजी महाराज अपने ससुर पिलाजी शिर्के को संदेश भेजा कि वो रायगढ़ किले पर हमला करे पिलाजी शिर्के रायगढ़ पर कब्जाकरतें हैं 




श्री छत्रपती संभाजी महाराज किल्ले रायगढ़
किल्ले रायगढ़ 


श्री छत्रपती संभाजी महाराज किल्ले रायगढ़
किल्ले रायगढ़ 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज किल्ले रायगढ़
किल्ले रायगढ़ 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज किल्ले रायगढ़ प्रवेशद्वार
किल्ले रायगढ़ प्रवेशद्वार 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज किल्ले रायगढ़
किल्ले रायगढ़ 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज किल्ले रायगढ़ बाजार पेठ
किल्ले रायगढ़ बाजार पेठ

श्री छत्रपती संभाजी महाराज किल्ले रायगढ़
किल्ले रायगढ़ 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज किल्ले रायगढ़
किल्ले रायगढ़ 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज किल्ले रायगढ़
किल्ले रायगढ़


श्री छत्रपती संभाजी महाराज किल्ले रायगढ़
किल्ले रायगढ़ 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज किल्ले रायगढ़
किल्ले रायगढ़ 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज किल्ले रायगढ़
किल्ले रायगढ़ 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज किल्ले रायगढ़
किल्ले रायगढ़ 

ताजपोषी राज्याभिषेक मुगलों से पंगा दुश्मनी 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज राज्याभिषेक माघ शुद्ध 7, शके 1602 रौद्रनाम संवत्सरे जनवरी 14,15,16, सन 1681 विधियुक्त राज्याभिषेक हुआ मराठा साम्राज्य के दुसरे छत्रपती बने जनता के धाकले धनी हो गये छत्रपती होने के बाद उन्होंने षड्यंत्र कारियों को बंदी से रिहा किया और उन्हें  पुन्हा अपने मंत्री मंडल में शामिल किया। संभाजी महाराज ने मुगलों का बुरहानपुर शहर पर हमला करके उसे लुटा और मुगल सेना को परास्त किया। मुगल बादशाह औरंगजेब को बुरहानपुर शहर से लगाव था उनकी अम्मी मुमताज़ की कब्र तथा उनके बेगम हिराबाई की कबर बुरहानपुर में है। बुरहानपुर शहर लुटकर मुगलों से खुली दुश्मनी की थी, लेकिन औरंगजेब के चौथे बेटा अकबर को बादशाह बनना था। उसने राना दुर्गादास राठोड और कुछ अन्य राजपूतों के साथ मिलकर बगावत की लेकिन अकबर आयाश रातभर शराब नाचगाने में डुबा रहता ईसिका फायदा औरंगजेब ने उठाया और  उनको हराया। अकबर वहासे भाग निकला औरंगजेब ने सभी रियासत राजा वो को फरमान जारी किया अकबर को कोई पन्हा नहीं दे। लेकिन अकबर दक्कन संभाजी महाराज के पास आया और उनसे पन्हा मांगी इसलिए औरंगजेब चिड गया। अपनी 5 लाख की सेना लेकर दक्कन के लिए निकला। और बुरहानपुर शहर पहुंचा ये बात संभाजी महाराज को पता चलती हैं। संभाजी महाराज भेंस बदलकर बुरहानपुर शहर पहुँच ते है ई दौरान संभाजी महाराज की बेटी भवानीबाई का विवाह था। लेकिन संभाजी बुरहानपुर जातें हैं और औरंगजेब को मारने का प्रयास करते हैं उस धमाकेमे औरंगजेब बचता है लेकिन उसका बारूद बरबाद होता है। औरंगजेब क्रोधित होकर संभाजी महाराज को जीवित या मृत लाने का हुकुम देता है। 
श्री छत्रपती संभाजी महाराज राज्याभिषेक
श्री छत्रपती संभाजी महाराज राज्याभिषेक 

मुगलों की हार और तबाही 

सन 1687 में मराठा फोज की मुगलों से भयंकर जंग हुई उसमें मराठो की जीत हुई लेकिन सेनापति हंब्बीरराव मोहिते को तोप का गोला लगने से मृत्यु हुई वो शहीद हुए, मुगलों को रामशेत किला जितने के लिए 6 साल लगे संभाजी महाराज ने ऐसी रणनीति बनाईं थीं की मुगलों को कल्याण ठाणे नाशिक भी जितने नहीं दिया। ईसी दौरान जंजीरा के सिध्धी को औरंगजेब ने हथियार धन असला भेजा ताकि आतंक मचा सके। लेकिन संभाजी महाराज ने कोंडाजी बाबा को जंजीरा भेजा जंजीरा लेने की योजना सफल नहीं हो पाई कोंडाजी बाबा शहीद हुए। सिध्धी का आतंग रोका

श्री छत्रपती संभाजी महाराज मुगलों की तबाही
श्री छत्रपती संभाजी महाराज मुगलों की तबाही 

 पोर्तूगीज को शिकस्त और सबसे

शंभु राजे ने कोंकण रत्नागिरी सिन्धुदर्ग में दारूगोला बनाने के लिए कारखाने लगाये थे। वहां पोर्तूगीज परेशान करने लगे थे तभी संभाजी महाराज ने गोवा जाने का फैसला किया गोवा जाकर पोर्तूगीजो से युद्ध किया इसमें पोर्तूगीज मुखिया बचकर भाग गया हार के बाद उन्होंने शरनागती से करार किया की मराठा सल्तनत को कभी परेशान नहीं करेंगे,लगान देंगे जबरन धर्म परिवर्तन नहीं करनें का वादा किया था। गोवा से वापस आते समय औरंगजेब का बेटा 1 लाख की सेना लेकर संभाजी महाराज को पकड़ने के लिए आता है लेकिन उसकी 80 हजार की सेना मारी जाती है। वो परास्त होकर लोटता है। 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज दरबार
श्री छत्रपती संभाजी महाराज दरबार 

षड्यंत्र राजा को मारने का 

षड्यंत्र छत्रपती संभाजी महाराज को मारने का प्रयास अपने ही लोग करतें हैं। प्रमुख अनाजी दत्तो पंत, चिटनिस बाळाजी पंत, अवजी बाळाजी पंत, सोमाजी दत्तो पंत, हिरोजी फर्जन,जनार्दन पंत, लग भग 22 लोग मारने में असफल होते है। लेकिन इनको दुबारा षड्यंत्र करनें के आरोप में राज द्रोह गुन्हा कि सजाये मोत आदेश मिलता है  किसीको हात्ती के पैर के नीचे कीसी को तोफ से उडाणा 

श्री छत्रपती संभाजी षडयंत्र कारियों को हाथी पैरों तले कुछला
षड्यंत्र कारियों को हाथी पैरों तले कुछला 

अपनों ने ही दिया धोखा अपने ही लंका भेदी
 
फरवरी 1689 में संभाजी महाराज पत्नी महारानी येसुबाई शृंगारपुर संगमेश्व (रत्नागिरी) एक बैठक के लिए पहुँच ते है लेकिन मुगल सरदार मुकर्रब खान की सेना वहा पहुचती है। कान्होजी शिर्के महारानी येसुबाई के चाचा फितुर थे, उनको औरंगजेब ने 5 हजार की मनसबदारी दाई थीं। उनको दाभोल का वतन चाहिए था। लेकिन स्वराज्य में वतन किसी को नहीं दिया जाता था, इसी बात पर कान्होजी शिर्के गद्दारी कर बैठे वो बार बार महारानी येसुबाई के भाई व शिवाजी महाराज के जमाई गणोजी शिर्के को उकसा ते लेकिन मुगलों ने शृंगारपुर को चारों तरफ से घेर लिया। उस दौरान बडी झटापट हुई और संभाजी महाराज की सेना वहा से निकल गई मुकर्रब खान को लगा कि संभाजी हमारे हाथ में से निकल गया। उस सेना के पीछे निकल ने वाला था, तभी कान्होजी शिर्के ने उसे रोका और कहा संभाजी नहीं भागा ऐ गनिमी कावा है। हमारे आखों से धोखा किया है, वो हवेली में है मराठा वीरों की रणनीति कान्होजी शिर्के को पता थीं  कारण वो मराठा सरदार निठ्ठावंत पिलाजी शिर्के के भाई थे तथी मुगलों ने हवेली को घेर लिया और संभाजी महाराज कवि कलश को बेडियो में जखड लिया। पकडकर बहादुर गढ ले गये। 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज शिवाजी महाराज भोसले
श्री छत्रपती संभाजी महाराज 

मार डाल ने से पहले यातना ओ का लंबा सिलसिला 

छत्रपती संभाजी महाराज और कवि कलश को पूरे शहर में बेडियो से जखड कर घुमाया पथर फेंके भालेकी नोक चुभाई तभी उस भिडमे संभाजी महाराज का अंगरक्षक रायप्पा उनको बचाने का प्रयास करते हैं लेकिन मारा जाता है।  मुगल बादशाह आलमगिर औरंगजेब छत्रपती संभाजी महाराज को कुरनिस और कदम पोषी करनें को कहतें है लेकिन संभाजी महाराज इनकार कर ते है। औरंगजेब संभाजी महाराज से दो प्रश्न का उत्तर मांग ते है, पहला स्वराज्य का खजाना कहा छुपाकर रखा है। दूसरा मुगलिया सल्तनत के कोन से सरदार तुम से मिले हुए हैं। महाराज का जबाब तुम्हारा बेटा अकबर मिला हुआ है, बादशाह महाराज को कहतें है संभा तुम हमारे साथ दिल्ली चलो ये सब कुछ छोडो 50 हजार का मनसबदार बनाता हूँ। झुको कुरनिस करो महाराज उसको कहतें हैं। छत्रपती किसी के सामने झुकते नहीं छत्रपती एक सोंच है, मै शिवाजी का पुत्र हु शिवाजी महाराज के सामने झुकते है। औरंगजेब धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रेरित करता है। तुम्हें बाईजत बरिकिया जाये गा तुम्हे रिहा कर दिया जाए गा, महाराज इनकार कर ते है। और क्रूरताका सिलसिला चलता है उनकी आँखें निकाल ते है तभी संभाजी महाराज उसकी शर्त मानते नहीं उनकी जबान काटते हैं। तभी शंभु राजे झुकते नहीं। उसके बाद मोतका फरमान सुनाया जाता है, तभी राजे मानते नहीं क्यों की छत्रपती एक सोंच है सबके दिलों में रहती हैं एक संभाजी मरा तो हजार संभाजी जन्म लेंगे,शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए जाते हैं। 11 मार्च 1689 को मेरे राजे धाकले धनी स्वराज्य के लिए शहीद होते है। मेरा राजा समाज को प्रेरणा देकर जातें हैं कितना भी संकट आये आपनें धर्म के रास्ते पर चलो।


श्री छत्रपती संभाजी महाराज समाधि
श्री छत्रपती संभाजी महाराज समाधि 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज समाधि
श्री छत्रपती संभाजी महाराज समाधि 



श्री छत्रपती संभाजी महाराज समाधि
श्री छत्रपती संभाजी महाराज समाधि 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज समाधि
श्री छत्रपती संभाजी महाराज समाधि 

श्री छत्रपती संभाजी महाराज कवि कलश समाधि
कवि कलश समाधि 



अंतिम संस्कार किसने किया 

11 मार्च 1689 संभाजी महाराज के शरीर के टुकड़े वडु गांव के पास नंदी में फेंक ते है भिमा कोरेगाव औरंगजेब फतवा निकाल ता है। कोई भी टुकड़े नदी में से बाहर नहीं निकाले लेकिन गोविंद महार उसे निकाल कर सिकर आपनी जगह में अंतिम संस्कार करते हैं 


।। जय भवानी जय शिवाजी ।।
।। जय हिंद जय महाराष्ट्र ।।     
।। जय शंभु राजे ।।














Wednesday 19 August 2020

महाराज श्री शहाजी राजे भोसले मराठा योद्धा

महाराज श्री शहाजी राजे भोसले मराठा योद्धा ।।

श्री शहाजी राजे भोसले 

श्री शहाजी राजे भोसले मराठा योद्धा मालोजी भोसले के बेटे थे। मालोजी एक बहुत ही सक्षम और बहादुर सरदार थे मालोजी भोसले अहमदनगर के निजाम शहा के दरबार के सदस्य थे। बहुत लम्बे समय तक मालोजी राजे को कोई सन्तान नहीं थी। फिर कुछ समय पश्चात उन्हें दो बेटे हुए। शहाजी राजे भोसले (जन्म 15 मार्च ई:स 1594) मालोजी राजे ने उन दोनों के नाम शहाजी राजे और शरीफजी रखा था। जब शहाजी राजे छोटे थे तभी उनकी शादी जिजाबाई से कर दी गयी थीं जिजाबाई लखुजी जाधव की बेटी थी और वो भी अहमदनगर के निजाम दरबार में सरदार थे। 



जिजाबाई शिवाजी महाराज
शहाजी राजे भोसले जिजाबाई शिवाजी महाराज 


जब मुगल दक्कन पे हमला करने वाले थे तब शहाजी राजे कुछ समय के 
लिए मुगल सेना में काम किया था। लेकिन कुछ समय पश्चात जब उनके जागीर उसने छीनलि गई तो उन्होंने सन 1632 में बीजापुर के सुलतान की मदत से पुना सुपे जागीर फिर से हांसिल कि। एक बार जब शहाजी राजे महुली किले में थे तब उन्हें चारो तरफ से मुगलों ने घेर लिया था। मुगलों की ताकत से डर कर पोर्तूगीज भी समुंदर के रास्ते शहाजी राजे की मदद नहीं कर सकें। शहाजी राजे जितने बहादुर और निडर योद्धा थे उससे भी ज्यादा एक समझदार व्यक्ति थे। इस युद्ध में शहाजी राजे ने आखिर तक लडाई लडी। लेकिन मुगलों ने अचानक निजाम के छोटे से लडके मोर्तज़ा को अपने कब्जे में कर लिया मगर उस छोटे से बच्चे की जान बचाने के लिए मुगलों ने पुरी निजाम शाही का राज्य मांग लिया। मगर उस छोटे बच्चे के खातिर शहाजी राजे ने मुगलों को पुरा राज्य दे दिया बच्चे की जान बचा ली।
जिसके कारण पुरी निजाम शाही खतम हो गई। शहाजी राजे किसी भी हालत में छोटे से मोर्तज़ा को बचाना चाहतेथे इसलिए उन्होंने उसे शाहजहाँ को सोप दिया था। 


श्री छत्रपती शिवाजी महाराज स्वराज्य गाथा
महाराज शहाजी राजे भोसले 


शाहजहाँ ने भी बहुत सावधानी बरतते हुए शहाजी राजे को दक्षिण भेज 
दिया क्यों की वो शाहजहाँ के लिए कोई खतरा ना पैदा कर सके लेकिन शहाजी राजे खुद की काबिलियत पर आदिलशाही मे भी सबसे ऊपर का। पद हासिल किया। 
सन 1638 में बीजापुर की सेना का नेतृत्व करते हुए रानदुल्ला खान और शहाजी राजे ने केम्प गोडा 3 को लडाई में पूरी तरह से हराया था। और बाद में बंगलौर का जागीर शहाजी राजे को आदिलशाह ने दे दि। महाराज शहाजी राजे ने खुद के नेतृत्व में कई बडी लड़ाईयां लडी और  दक्षिण के बोहोत से राजा वो को लडाई में हराया था। लेकिन जितने भी राजाओ को हराया उन सबको दंड देने या मारने के बजाय उन्होंने सब राजा को माफ कर दिया और उनके साथ मित्रता बढाकर उनसे लश्करी मदत देन का आश्वासन प्राप्त किया। आगे बंगलौर से शहाजी राजे की अलग ही जिंदगी की शुरूआत होतीं है। उन्होंने पत्नी वीर राजमाता जिजाबाई और अपने छोटे बेटे शिवाजी महाराज को पुने का जागीरदार बनाकर पुना भेज दिया। उन के साथ बाजी पासलक, दादोजी कोंडदेव, रघुनाथ बल्लाल अत्रे, कान्होजी जेधे नाईक, सोनोपंत व सातार के शिंदे देशमुख। 
अदिलशहा और बडी बेगम का शहाजी राजे पर भरोसा था। शहाजी राजे 
को राज्य का आधार मानते थे। लेकिन कुछ समय पश्चात शिवाजी महाराज ने पुने के मावल प्रांत और आसपास का प्रदेश जिसपर आदिलशाही का नियंत्रण था। उनपर कब्जा करना शुरू किया था। उन्होंने मियां रहिम 
अदिलशहा के विश्वास पात्र को हराया। तोरणा किले का किले दादा इनायत खान को शिकस्त देकर मार डाला और तोरणा अपने कब्जे में किया। शिवाजी महाराज की हरकतों को देखकर अदिलशहा ने अपने ससुर नवाब मुस्तफा खान, बाजी घोरपडे, मंबाजी भोसले, बाजी पवार, बाळाजी हैबतराव, फतह खान, आझमखान, को जिंजी शहाजी राजे को बंदी बनाकर लाने भेजा लेकिन शहाजी राजे को बंदी बनाना आसान नहीं था। उनसे दगा करके बंदी बनाया। उनपर आरोप लगाया की उन्होंने शिवाजी महाराज को बगावत करने के लिए प्रेरित किया। शिवाजी महाराज ने सोनोपंत को दिल्ली शाहजहाँ के पास भेजा शाहजहाँ को आश्वासन दिया कि शहाजी महाराज और शिवाजी महाराज मुगल साम्राज्य के लिए काम करेंग। शहाजी महाराज को फांसी की सुनवाई हुईं थीं। शाहजहाँ ने आदिलशाह को संदेशा भिजवाया की शहाजी महाराज को छोडा जाये। अदिलशहा ने शहाजी महाराज को छोड़ने के लिए शर्थ रखी शिवाजी महाराज कोंडाना वापस करे और संभाजी (प्रथम) इनकी जागीर आदिलशाह को वापस की जाये। 



श्री छत्रपती शिवाजी महाराज स्वराज्य गाथा
महाराज श्री शहाजी राजे भोसले 


एक लडाई के दौरान अफ़जल खान के विश्वास घात के कारण शिवाजी महाराज के बडे भाई संभाजी महाराज मारे गये। उसके बाद शिवाजी महाराज ने खुद अफजल खान को जावळी प्रताप गड के पास मार डाला था। 
स्वराज्य बनाने के लिए शहाजी राजे, संभाजी महाराज, रानदुल्ला खान, उनके बेटे रूस्तमे-जमा, इन्होने शिवाजी महाराज की मदद की थी।शहाजी राजे ने पश्चिम महाराष्ट्र, कोंकण, नागपुर, उत्तर महाराष्ट्र, खानदेश
दक्षिण भारत, तंजावर, जिंजी तक राज किया। 

शहाजी राजे शिकार करने जंगल में गये थे। उनके घोड़े का पैर अटक गया 
और शहाजी महाराज घोड़े से गिरगये और उनकी मृत्यु (जानेवारी 23 ई:स 1664)  हुई वो जगह कर्नाटक राज्य  दावनगिरी जिल्हा चडगिरी तालुका होदगिरी गाँव यहाँ पर शहाजी राजे महाराज की समाधि है। 



।। जय भवानी जय शिवाजी ।।

।। जय हिंद जय महाराष्ट्र ।।





Sunday 16 August 2020

वीर राजमाता जिजाबाई शहाजी राजे भोसले

वीर राजमाता जिजाबाई शहाजी राजे भोसले 





माॅ साहेब आऊसाहेब
वीर राजमाता जिजाबाई 



राजमाता जिजाबाई का जन्म 12 जनवरी 1598 को सिंदखेड 
गाँव में हुआ था। यह स्थान अभी महाराष्ट्र के विदर्भ में बुलढाणा 
जिले में आता है। उनके पिता का नाम लखुजी जाधव तथा माता का
नाम महालसाबाई था।

जिजाबाई का विवाह शहाजी राजे भोसले के साथ कम उम्र में हुआ 

था। उन्होंने सदैव अपने पति का राजनीतिक कार्यो में साथ दिया। 
शहाजी राजे ने निज़ामशाही सल्तनत में मराठा (साम्राज्य) स्वराज्य 
की स्थापना की कोशिश की थी। लेकिन वे मुगलों और आदिलशाही
के एक होने से हारका सामना करना पड़ा। संधि के अनुसार उनकों 
दक्षिण जानें के लिए मजबूर किया गया था। उस समय शिवाजी 
महाराज की आयु बहोत कम थी जिजाबाई और शिवाजी महाराज 
पुना में रहे, शहाजी महाराज अपने बडे बेटे संभाजी और दूसरी पत्नी 
तुकाबाई मोहिते, माता तुकाबाई का बेटा एकोजी को लेकर दक्षिण 
चले गये। 



माॅ साहेब आऊसाहेब शिवाजी राजे
वीर राजमाता जिजाबाई 


राजमाता जिजाबाई  (आऊसाहेब) छत्रपती शिवाजी महाराज की माता 

होने के साथ-साथ उनकी मित्र, मार्गदर्शक और प्रेरणास्थाण भी थी।
उनका सारा जीवन साहस और त्याग से भरा हुआ था। उन्होंने जीवन 
भर कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों को झेलते हुए भी धैर्य नहीं
खोया और अपने पुत्र शिवबा को शिक्षा और संस्कार दिए जिनके कारण 
वह आगे चलकर हिंन्दवी स्वराज्य की स्थापना की शिवाजी महाराज 
छत्रपती बने। जिजाबाई यादव उच्चकुल में उत्पन्न प्रतिभाशाली थी।
जिजाबाई यादव वंश की थी और उनके पिता एक शक्तिशाली सामन्त 
थे। जिजाबाई ने आठ बच्चों को जन्म दिया। उनमे से दो बेटे छह बेटियां 
थी। जिजाबाई एक तेजस्वी महीला थी। सभी मावळो को अपने बच्चे 
मानती बच्चों जयसा प्रेम भी करती। आज भी महिलायें कहती है आम्ही 
जीजाऊच्या लेकी। वीर माता की मृत्यु 1674 को महाराष्ट्र में (महाड)
रायगढ़ किल्ले के पास पाचाड में हुई उनकी समाधि वहापे है। 
वीर माता को कोटी कोटी प्रनाम 


।। जय भवानी जय शिवाजी।।

।। जय हिंद जय महाराष्ट्र।।



Saturday 15 August 2020



श्री छत्रपती शिवाजी महाराज स्वराज्य गाथा


। श्री छत्रपती शिवाजी महाराज स्वराज्य गाथा ।
छत्रपती शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 ई को शिवनेरी दुर्ग पे हुआ था । शिवनेरी महाराष्ट्र के पूना (पुणे) से उत्तर की तरफ जुन्नर नगर के पास है । शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे, छत्रपती शिवाजी महाराज के पिताजी शहाजी राजे भोसले आदिलशहा के दरबार में सरदार थे ।

मराठा साम्राज्य स्वराज्य
श्री छत्रपती शिवाजी महाराज व मातोश्री सईबाई 

। शिवाजी महाराज।
। पिताजी।
। शहाजी राजे भोसले ।
। माताजी।
। जिजाबाई ( आऊसाहेब) ।
। पत्नियां।
1) सईबाई निंबाळकर
2) सोयराबाई मोहिते
3) पुतळाबाई पालकर
4) लक्ष्मीबाई विचारे
5) काशीबाई जाधव
6) सगुणाबाई शिर्के
7) गुणवंतीबाई ईगळे
8) सकवारबाई गायकवाड़
। पुत्र ।
1) छत्रपती सभाजी राजे ( माता सईबाई )
2) राजाराम राजे ( माता सोयराबाई )
। पुत्रियां।
1) अंबिकाबाई महाडीक ( माता सईबाई)
2) राणुबाई पाटकर ( माता सईबाई )
3) सखुबाई निंबाळकर ( माता सईबाई )
4) दीपाबाई ( माता सोयराबाई )
5) राजकुवरबाई ( माता सगुणाबाई )
6) कमळाबाई (माता सकवारबाई )

मराठा साम्राज्य स्वराज्य
राज मुद्रा 

। गुरू ।
। समर्थ रामदास स्वामी ।
। दादोजी कोडदेव ।
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।। जय भवानी जय शिवाजी ।।
।। जय हिंद जय महाराष्ट्र ।।