Wednesday, 19 August 2020

महाराज श्री शहाजी राजे भोसले मराठा योद्धा

महाराज श्री शहाजी राजे भोसले मराठा योद्धा ।।

श्री शहाजी राजे भोसले 

श्री शहाजी राजे भोसले मराठा योद्धा मालोजी भोसले के बेटे थे। मालोजी एक बहुत ही सक्षम और बहादुर सरदार थे मालोजी भोसले अहमदनगर के निजाम शहा के दरबार के सदस्य थे। बहुत लम्बे समय तक मालोजी राजे को कोई सन्तान नहीं थी। फिर कुछ समय पश्चात उन्हें दो बेटे हुए। शहाजी राजे भोसले (जन्म 15 मार्च ई:स 1594) मालोजी राजे ने उन दोनों के नाम शहाजी राजे और शरीफजी रखा था। जब शहाजी राजे छोटे थे तभी उनकी शादी जिजाबाई से कर दी गयी थीं जिजाबाई लखुजी जाधव की बेटी थी और वो भी अहमदनगर के निजाम दरबार में सरदार थे। 



जिजाबाई शिवाजी महाराज
शहाजी राजे भोसले जिजाबाई शिवाजी महाराज 


जब मुगल दक्कन पे हमला करने वाले थे तब शहाजी राजे कुछ समय के 
लिए मुगल सेना में काम किया था। लेकिन कुछ समय पश्चात जब उनके जागीर उसने छीनलि गई तो उन्होंने सन 1632 में बीजापुर के सुलतान की मदत से पुना सुपे जागीर फिर से हांसिल कि। एक बार जब शहाजी राजे महुली किले में थे तब उन्हें चारो तरफ से मुगलों ने घेर लिया था। मुगलों की ताकत से डर कर पोर्तूगीज भी समुंदर के रास्ते शहाजी राजे की मदद नहीं कर सकें। शहाजी राजे जितने बहादुर और निडर योद्धा थे उससे भी ज्यादा एक समझदार व्यक्ति थे। इस युद्ध में शहाजी राजे ने आखिर तक लडाई लडी। लेकिन मुगलों ने अचानक निजाम के छोटे से लडके मोर्तज़ा को अपने कब्जे में कर लिया मगर उस छोटे से बच्चे की जान बचाने के लिए मुगलों ने पुरी निजाम शाही का राज्य मांग लिया। मगर उस छोटे बच्चे के खातिर शहाजी राजे ने मुगलों को पुरा राज्य दे दिया बच्चे की जान बचा ली।
जिसके कारण पुरी निजाम शाही खतम हो गई। शहाजी राजे किसी भी हालत में छोटे से मोर्तज़ा को बचाना चाहतेथे इसलिए उन्होंने उसे शाहजहाँ को सोप दिया था। 


श्री छत्रपती शिवाजी महाराज स्वराज्य गाथा
महाराज शहाजी राजे भोसले 


शाहजहाँ ने भी बहुत सावधानी बरतते हुए शहाजी राजे को दक्षिण भेज 
दिया क्यों की वो शाहजहाँ के लिए कोई खतरा ना पैदा कर सके लेकिन शहाजी राजे खुद की काबिलियत पर आदिलशाही मे भी सबसे ऊपर का। पद हासिल किया। 
सन 1638 में बीजापुर की सेना का नेतृत्व करते हुए रानदुल्ला खान और शहाजी राजे ने केम्प गोडा 3 को लडाई में पूरी तरह से हराया था। और बाद में बंगलौर का जागीर शहाजी राजे को आदिलशाह ने दे दि। महाराज शहाजी राजे ने खुद के नेतृत्व में कई बडी लड़ाईयां लडी और  दक्षिण के बोहोत से राजा वो को लडाई में हराया था। लेकिन जितने भी राजाओ को हराया उन सबको दंड देने या मारने के बजाय उन्होंने सब राजा को माफ कर दिया और उनके साथ मित्रता बढाकर उनसे लश्करी मदत देन का आश्वासन प्राप्त किया। आगे बंगलौर से शहाजी राजे की अलग ही जिंदगी की शुरूआत होतीं है। उन्होंने पत्नी वीर राजमाता जिजाबाई और अपने छोटे बेटे शिवाजी महाराज को पुने का जागीरदार बनाकर पुना भेज दिया। उन के साथ बाजी पासलक, दादोजी कोंडदेव, रघुनाथ बल्लाल अत्रे, कान्होजी जेधे नाईक, सोनोपंत व सातार के शिंदे देशमुख। 
अदिलशहा और बडी बेगम का शहाजी राजे पर भरोसा था। शहाजी राजे 
को राज्य का आधार मानते थे। लेकिन कुछ समय पश्चात शिवाजी महाराज ने पुने के मावल प्रांत और आसपास का प्रदेश जिसपर आदिलशाही का नियंत्रण था। उनपर कब्जा करना शुरू किया था। उन्होंने मियां रहिम 
अदिलशहा के विश्वास पात्र को हराया। तोरणा किले का किले दादा इनायत खान को शिकस्त देकर मार डाला और तोरणा अपने कब्जे में किया। शिवाजी महाराज की हरकतों को देखकर अदिलशहा ने अपने ससुर नवाब मुस्तफा खान, बाजी घोरपडे, मंबाजी भोसले, बाजी पवार, बाळाजी हैबतराव, फतह खान, आझमखान, को जिंजी शहाजी राजे को बंदी बनाकर लाने भेजा लेकिन शहाजी राजे को बंदी बनाना आसान नहीं था। उनसे दगा करके बंदी बनाया। उनपर आरोप लगाया की उन्होंने शिवाजी महाराज को बगावत करने के लिए प्रेरित किया। शिवाजी महाराज ने सोनोपंत को दिल्ली शाहजहाँ के पास भेजा शाहजहाँ को आश्वासन दिया कि शहाजी महाराज और शिवाजी महाराज मुगल साम्राज्य के लिए काम करेंग। शहाजी महाराज को फांसी की सुनवाई हुईं थीं। शाहजहाँ ने आदिलशाह को संदेशा भिजवाया की शहाजी महाराज को छोडा जाये। अदिलशहा ने शहाजी महाराज को छोड़ने के लिए शर्थ रखी शिवाजी महाराज कोंडाना वापस करे और संभाजी (प्रथम) इनकी जागीर आदिलशाह को वापस की जाये। 



श्री छत्रपती शिवाजी महाराज स्वराज्य गाथा
महाराज श्री शहाजी राजे भोसले 


एक लडाई के दौरान अफ़जल खान के विश्वास घात के कारण शिवाजी महाराज के बडे भाई संभाजी महाराज मारे गये। उसके बाद शिवाजी महाराज ने खुद अफजल खान को जावळी प्रताप गड के पास मार डाला था। 
स्वराज्य बनाने के लिए शहाजी राजे, संभाजी महाराज, रानदुल्ला खान, उनके बेटे रूस्तमे-जमा, इन्होने शिवाजी महाराज की मदद की थी।शहाजी राजे ने पश्चिम महाराष्ट्र, कोंकण, नागपुर, उत्तर महाराष्ट्र, खानदेश
दक्षिण भारत, तंजावर, जिंजी तक राज किया। 

शहाजी राजे शिकार करने जंगल में गये थे। उनके घोड़े का पैर अटक गया 
और शहाजी महाराज घोड़े से गिरगये और उनकी मृत्यु (जानेवारी 23 ई:स 1664)  हुई वो जगह कर्नाटक राज्य  दावनगिरी जिल्हा चडगिरी तालुका होदगिरी गाँव यहाँ पर शहाजी राजे महाराज की समाधि है। 



।। जय भवानी जय शिवाजी ।।

।। जय हिंद जय महाराष्ट्र ।।





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